श्री कृष्ण के वंशज कौन है? | भगवान कृष्ण का वंश कब तक चला?

श्री कृष्ण के वंशज कौन है: श्री कृष्ण हिंदू धर्म के देवताओं में से एक हैं जिनके बारे में हमारी धर्म ग्रंथों ने विस्तार से वर्णन किया है। कृष्ण भगवान के जीवन का इतिहास आमतौर पर महाभारत में मिलता है जिसमें उनके बचपन से लेकर महाभारत युद्ध तक का सफर दर्शाया गया है। वैदिक साहित्य में उनके बारे में कुछ उल्लेख भी मिलते हैं। श्री कृष्ण के वंशज कौन है इसके बारे में जानने से पहले हम उनके परिचय के बारे मैं थोड़ी बात करते हैं।

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श्री कृष्ण के वंशज कौन है

श्री कृष्ण के वंशज कौन है?

दोस्तों आइय विस्तार पूर्वक जानते है कि श्री कृष्ण के वंशज कौन है। आगे बढ़ने से पहले हम आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि हमारे द्वारा बताई गई जानकारी को अंत तक जरूर पढ़ें। ताकि आपको भगवान श्री कृष्ण के वंशज के बारे में पता चल सके।

श्री कृष्ण के परिचय

श्री कृष्ण के वंशज कौन है उससे पहले उनके बारे में जानना जरूरी है। श्री कृष्ण के जन्म स्थल मथुरा है और उनकी जन्म तिथि आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। उनके पिता का नाम वासुदेव था जो मथुरा के राजा उग्रसेन का भाई था। उनकी माता का नाम देवकी था जो उग्रसेन की पुत्री थी।

श्री कृष्ण का जन्म जब हुआ तो उनकी माता जेल में थीं क्योंकि उनकी बहन कंस ने उनकी शादी से पहले वादा किया था कि वह उनकी सभी संतानों को मार डालेगा। इस खतरे से बचने के लिए उनका पहला जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा नगर में एक गोपिनाथ के घर में हुआ था।

इस जन्म के समय उनकी माता देवकी और पिता वासुदेव भी कंस के कैद में थे। इसलिए, श्री कृष्ण का जन्म गोपियों द्वारा धात्री के सुपात्र में हुआ था और उन्होंने उन्हें नंद और यशोदा के पास भेज दिया था।

श्री कृष्ण का जन्म, हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। उन्हें विष्णु के आठवें अवतार माना जाता है और उनके जन्म दिवस को जन्माष्टमी नाम से मनाया जाता है।

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श्री कृष्ण के परिवार का इतिहास

श्री कृष्ण के वंशज कौन है इसके बारे में जानने से पहले, हम उनके परिवार के बारे में थोड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। श्री कृष्ण के पिता का नाम वासुदेव था जो मथुरा के राजा उग्रसेन का भाई था। वासुदेव के चार पुत्र थे – राम, लक्ष्मण, शत्रुघ्न और भद्रा। श्री कृष्ण वासुदेव और देवकी के सपुत्र थे।

श्री कृष्ण बाल्यकाल से ही अपने विद्यार्थी जीवन को अत्यंत विशेषता के साथ गुजारते थे। वे अपनी बाल्यकाल से ही उज्जैन, द्वारका, मथुरा, वृंदावन, माथुरा और गोकुल जैसी जगहों पर घूमने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने उन जगहों के साथ-साथ उन जगहों के स्थानीय लोगों से भी परिचय किया था।

श्री कृष्ण ने बाल्यकाल में अपनी लीलाओं से लोगों को प्रभावित किया था। उनके बाल्यकाल की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं में उनकी वसुदेव और देवकी से मिलने का समावेश था, जब उन्होंने मथुरा के राजा कंस को मार डाला था।

श्री कृष्ण के बचपन के दोस्त और साथियों के बारे में

श्री कृष्ण के वंशज कौन है यह जानने के लिए, हमें उनके संसार को समझना होगा। श्री कृष्ण ने अपने जीवन में अनेक विवादों का सामना किया और उन्होंने इन सभी स्थितियों से बहुत सीखें ली। श्री कृष्ण ने अपने जीवन में अनेक स्त्रियों से प्रेम किया और उनके साथ संबंध रखे।

श्री कृष्ण ने गोकुल और मथुरा में रहते हुए यदु वंश की उत्पत्ति की शुरुआत की। श्री कृष्ण के प्रसिद्ध संगीतकार और गुणवान सम्प्रदायवादी संत मीरा बाई भी यदु वंश के वंशजों में शामिल होती हैं।

श्री कृष्ण अपनी पत्नी रुक्मिणी से जन्मे गए पुत्र प्रद्युम्न, सम्ब, अनिरुद्ध, चारुदेश्ना और अभिमन्यु के पिता थे। इसके अलावा, श्री कृष्ण ने अपनी संसार के सभी लोगों को उनके नाम और यादगार बातों से यादगार बनाया था।

श्री कृष्ण के वंशजों और वंशजों की उत्पत्ति के बारे में जानकारी

श्री कृष्ण के वंशज और उनके सम्बन्धी वंश बहुत विस्तृत होते जा रहे हैं। श्री कृष्ण ने अपने जीवन में अनेक पत्नियों से विवाह किए थे और उनसे बच्चे भी हुए थे। इनमें से श्री कृष्ण की प्रमुख पत्नियों में से एक थीं रुक्मिणी देवी। श्री कृष्ण और रुक्मिणी देवी के संबंध संसार के सबसे प्रसिद्ध प्रेम कहानियों में से एक है। श्री कृष्ण और रुक्मिणी देवी के संबंध से श्रीमद् भागवत पुराण में बहुत सी कथाएं दी गई हैं।

श्री कृष्ण के दूसरे विवाह का संबंध रुक्मिणी देवी के चारों तरफ विराजमान द्वारका से था। इन विवाहों से श्री कृष्ण के कई पुत्र और पुत्रियां हुए थे। श्री कृष्ण के बच्चों में से प्रमुख थे प्रद्युम्न, सम्ब, अनिरुद्ध, चारुदेश्ना और अभिमन्यु।

श्री कृष्ण के बाद, उनके वंशजों में भी अनेक प्रमुख व्यक्तित्व हुए जो भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों में से हैं। श्री कृष्ण के बच्चों में से एक था श्रीधामा जी, जो मथुरा के महान संत थे और श्री कृष्ण के बच्चों के अलावा, उनके परिवार में भी अनेक प्रमुख व्यक्तित्व हुए जो भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण हैं।

श्री कृष्ण के परिवार में उनके बड़े भाई बलराम और उनके भाई-बहन जैसे सुभद्रा, सत्यभामा, जम्बवती, रुक्मिणी, सुदामा, और नंदगोप आदि शामिल थे। इन सभी व्यक्तित्वों के अलावा, श्री कृष्ण के नाती-नातिन के भी अनेक प्रमुख व्यक्तित्व हुए जैसे वासुदेव, उद्धव, सम्ब, चारुदेश्ना, और अनिरुद्ध आदि।

श्री कृष्ण के परिवार में से एक और महत्वपूर्ण व्यक्ति थे श्री बालराम जी। श्री बालराम जी को भी आदि शेष अथवा शेषनाग के रूप में जाना जाता है। वे श्री कृष्ण के साथ बचपन से रहे थे और उनके साथ बड़े हुए। श्री बालराम जी को आदि शेष के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्हें महत्त्वपूर्ण रूप से सर्प अथवा नाग का दर्शन किया जाता है।

श्री कृष्ण की पत्नियों में से सबसे प्रमुख थीं सत्यभामा और रुक्मिणी। सत्यभामा श्री कृष्ण की पत्नी थीं जिन्होंने उन्हें अपनी आध्यात्मिक शक्ति का अंश दिया था। रुक्मिणी श्री कृष्ण की पहली पत्नी थीं जो उन्हें रुक्मिणी स्वयंवर से पाया था। श्री कृष्ण की अन्य पत्नियों में जम्बवती, सुभद्रा, लक्षणा, और कालिंदी आदि शामिल थीं।

श्री कृष्ण के परिवार के व्यक्तित्वों में से एक थे वासुदेव जो उनके पिता वसुदेव थे। उनकी माँ का नाम देवकी था जो कंस राजा की बहन थीं। श्री कृष्ण का प्रधान मित्र और सलाहकार उद्धव भी उनके परिवार के सदस्य थे। उद्धव को श्री कृष्ण का विवेकवाणी और अद्भुत ज्ञान का उपदेश मिला था।

श्री कृष्ण के परिवार में से अन्य व्यक्तित्वों में से चारुदेश्ना, सम्ब, और अनिरुद्ध भी थे। चारुदेश्ना श्री कृष्ण की पुत्री थीं जो महाभारत के युद्ध के बाद अर्जुन के साथ वनवास गईं थीं। सम्ब श्री कृष्ण का पुत्र था जो महाभारत के युद्ध के बाद कुंती द्वारा जन्म दिया गया था।

उनकी मां का नाम जाम्बवती था जो राजा जाम्बवान की पुत्री थीं। सम्ब का विवाह द्रौपदी और अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से हुआ था। सम्ब ने कृष्ण जी की एक निशानी को छेड़ दिया था, जिससे कि उन्हें एक शांति यज्ञ का आयोजन करना पड़ा था जो महाभारत के युद्ध के बाद विधायक था। सम्ब ने श्री कृष्ण से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी और उन्होंने अपनी गलती सुधार ली।

अनिरुद्ध श्री कृष्ण के पुत्र थे जो रुक्मिणी से जन्मे थे। उनकी माता ने उन्हें अनिरुद्ध का नाम दिया था, जो अनन्त आकाश तक जा सकता था। श्री कृष्ण के परिवार में से एक और महत्वपूर्ण व्यक्ति बलराम थे जो उनके भाई थे। वे अवतार और योगमाया की समान ही भावना के साथ आपस में जुड़े थे। बलराम जी को निताई और बलभद्र जी के नाम से भी जाना जाता है।

श्री कृष्ण के वंशज कौन है और वंशजों की संख्या

श्री कृष्ण के वंशज कौन है
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे श्रीधामा जो श्री कृष्ण के पुत्र बने थे। उनकी मां राधा थीं जो कृष्ण जी की प्रिय गोपियों में से एक थीं। श्रीधामा ने उनकी माता के पास जाने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन उन्होंने उन्हें जाने नहीं दिया था। श्रीधामा ने श्री कृष्ण के साथ एक बड़ा युद्ध भी लड़ा था जो उन्हें जीत दिलाने के लिए था।
  • श्री कृष्ण के अन्य वंशजों में से एक थे प्रद्युम्न जो श्री कृष्ण के पुत्र थे। उनकी मां रुक्मिणी थीं जो ब्रज के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। प्रद्युम्न का जन्म हुआ था जब श्री कृष्ण ने कालयवन का वध किया था। इसलिए उन्हें कालयवन का वधक भी कहा जाता है।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक और महत्वपूर्ण व्यक्ति थे अम्बे, जो अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र थे। वे कुरुक्षेत्र के युद्ध में मरे गए थे। अम्बे के भाई अनिरुद्ध भी श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थे।
  • श्री कृष्ण के और वंशज थे जो महत्वपूर्ण रूप से उन्हीं के जीवन से जुड़े थे। श्री कृष्ण के भाई बलराम जी उनसे बड़े थे और उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। उन्होंने भी श्री कृष्ण के साथ बड़े युद्धों में हिस्सा लिया था और उन्हें बहुत प्रेम किया था।
  • श्री कृष्ण के और एक पुत्र था जिसका नाम सम्ब था। उनकी मां जम्बवती थीं जो राजा जम्बवन की पुत्री थीं। सम्ब के पुत्र भानुमति थे जो श्री कृष्ण के परम भक्त थे और उनके साथ बड़े युद्धों में हिस्सा लिया था।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थे उषा जो बनासुर की पुत्री थीं। उषा का विवाह अनिरुद्ध से हुआ था जो श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थे।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थी चित्रांगदा जो वीर बाहु की पुत्री थीं। वीर बाहु ने श्री कृष्ण के साथ महाभारत युद्ध में हिस्सा लिया था। चित्रांगदा भी श्री कृष्ण की बड़ी प्रेमिका थीं।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में एक और पुत्र था जिसका नाम प्रद्युम्न था। प्रद्युम्न के जन्म के बाद, श्री कृष्ण ने उन्हें अपनी माया से निकाल कर अपने गुरु संदीपनी के पास भेजा। वह वहाँ शास्त्रों और योग के विभिन्न विषयों का अध्ययन करता रहा। श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थी जाम्बवती का पुत्र प्रान्धव जो भी श्री कृष्ण के साथ महाभारत युद्ध में हिस्सा लिया था।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थी नांदिनी जो श्री कृष्ण के साथ उनके वृंदावन के आश्रम में रहती थीं। उन्होंने श्री कृष्ण के साथ अपना जीवन व्यतीत किया था और उनकी सेवा करती थीं।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थीं रुक्मिणी की पुत्री चारुदेश्ना। चारुदेश्ना ने श्री कृष्ण के वंशजों में से एक विदुरथ के साथ विवाह किया था जो श्री कृष्ण के परम भक्त थे।
  • श्री कृष्ण के वंशजों की एक और प्रसिद्ध व्यक्ति थीं सम्पूर्णा, जो कि श्री कृष्ण की अनुयायी थीं और उन्हें अपना गुरु मानती थीं। उन्होंने अपने जीवन में श्री कृष्ण की भक्ति की और उनके उपदेशों का पालन किया।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक था सम्पूर्ण सम्पदा, जो विदर्भ के राजा भिमसेन की सुंदरी कन्या रुख्मिणी से विवाह किया था। श्री कृष्ण ने अपने दोस्त बलराम के साथ विदर्भ जाकर रुख्मिणी को अपनी पत्नी बनाया था। सम्पूर्ण सम्पदा और रुख्मिणी के बच्चों में श्रीदामा, सुभद्रा, लक्ष्मणा, चारुदेश्ना आदि शामिल थे।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थी राजा कुंतीभोज की पुत्री कुंती, जो धर्मराज युधिष्ठिर की माता थीं। कुंती को बचपन से ही धर्मराज युधिष्ठिर को पालने का काम सौंपा गया था जिसे वह उम्मीद से भरपूर तरीके से निभाती थीं।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थीं द्रौपदी की पुत्री कृष्णा।
  • कृष्णा ने द्रौपदी के साथ अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। उन्होंने महाभारत युद्ध में अपनी दो सेनाओं के साथ पांच पांडवों का साथ दिया और अर्जुन के साथ अपने सेनापति बनकर विविध युद्धों में भाग लिया। उन्होंने भीष्म पितामह को अपने शिकंजे में गिराकर अर्जुन को मारने से रोका था। उन्होंने महाभारत युद्ध के बाद अपने पति अर्जुन के साथ अपने बेटे अभिमन्यु का विवाह किया था।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक था अनिरुद्ध, जो कि रुख्मिणी और सम्पूर्ण सम्पदा के बेटे थे। अनिरुद्ध ने श्री कृष्ण के मुखारविंद से प्राप्त किए गए अमूल्य वस्तुओं में से एक थीं संजीवनी बूटी। इसे उन्होंने लक्षगृह में मारे गए उनके दोस्तों को जीवित करने के लिए उपयोग किया था।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थीं उषा, जो कि बाणासुर की कन्या थीं। उषा ने अपने स्वयंवर में अपने जीवन के प्रेमी अनिरुद्ध को चुना था।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक था वज्रनाभ, जो कि उत्तरा और अर्जुन के पुत्र थे। उन्होंने महाभारत युद्ध के बाद हाथिनीकुंड में तपस्या करने लगा था जहां उन्होंने धर्म और अधर्म के विषय में अध्ययन किया था। वज्रनाभ के बेटे थे अनिरुद्ध और विष्णुदत्ता।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थीं चांद्रवली, जो कि यदुवंश की राजकुमारी थीं और श्री कृष्ण की प्रेमिका भी थीं।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थीं बद्ध, जो कि बलराम की कन्या थीं और नित्यानंद की पत्नी बनी थीं।
  • श्री कृष्ण के वंशजों में से एक थीं भद्रा, जो कि द्रौपदी और अर्जुन की पुत्री थीं। उनके बेटे अभिमन्यु ने द्रौपदी के पाँचवें पुत्र की मदद की थी जब वह अपनी सेना से घिर गया था।

इनके अलावा भी बहुत से व्यक्ति हैं, जो श्री कृष्ण के वंशज हैं और उनके वंशावली में शामिल हैं।

निष्कर्ष

श्री कृष्ण के वंशजों के बारे में और विस्तृत जानकारी के लिए आप वेद, पुराण, महाभारत, हरिवंश पुराण, ब्रह्म पुराण आदि जैसी ग्रंथों का अध्ययन कर सकते हैं। इनके अलावा आप अन्य धार्मिक ग्रंथों और इतिहास संबंधी पुस्तकों को भी देख सकते हैं।

आजकल इंटरनेट पर भी श्री कृष्ण के वंशजों की जानकारी उपलब्ध है। आप इंटरनेट पर उपलब्ध संस्कृत वेबसाइटों या अनुवादित संस्कृत वेबसाइटों का भी उपयोग कर सकते हैं।

विशेषज्ञों से बातचीत करने या समुदाय से जुड़ने भी श्री कृष्ण के वंशजों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।